उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है शीतली प्राणायाम:- योगाचार्य महेश पाल
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है शीतली प्राणायाम:- योगाचार्य महेश पाल
गुना -पूरे विश्व में हर साल की भांति इस साल भी 7 अप्रैल को , मेरा स्वास्थ्य मेरा अधिकार, थीम के साथ विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया यह दिवस वैश्विक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य मनाया गया, WHO की रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 1.3 बिलियन एवं भारत मैं 1.88 मिलियन से भी अधिक संख्या उच्च रक्तचाप के रोगियों की हो चुकी हैं,जैसा कि देखने में आ रहा है बदलती लाइफस्टाइल और बदलते आहार शैली को देखते हुए हमारे स्वास्थ्य में कई बदलाव आते जा रहे हैं जिसमें भारत ही नही समूचे विश्व मैं एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रहा है उच्च रक्तचाप, योगाचार्य महेश पाल विस्तार से बताते हैं कि शीतली प्राणायाम के अभ्यास से उच्च रक्तचाप पर हम नियंत्रण पा सकते हैं, शीतली प्राणायाम का उल्लेख योग ग्रंथ घेरंड संहिता और हठयोगप्रदीपिका में मिलता है। योग प्राणायाम में शीतली एकमात्र ऐसा प्राणायाम है जो जिन्हा( जीभ) से सांस लेकर किया जाता है शीतली प्राणायाम आमतौर पर अन्य आसनों के अभ्यास करने के बाद किया जाता है। शीतली शब्द संस्कृत शब्द "शीतल" से बना है जिसका अर्थ ठंड है,नाम से स्पष्ट हो जाता है कि इस प्राणायाम को करने से व्यक्ति के पूरे शरीर पर ठंडा प्रभाव पड़ता है। इस प्राणायाम का अभ्यास मन के साथ-साथ शरीर को भी शांत करने के लिए किया जाता है। यह सीतकारी प्राणायाम के समान है और उज्जायी प्राणायाम के ठीक विपरीत है। यह प्राणायाम गर्मी के महीनों के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जब कई लोग तीव्र गर्मी के कारण बेचैनी का अनुभव करते हैं, इस प्राणायाम के माध्यम से अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित व मन को शांत कर बेचैनी से राहत पा सकते हैं शीतली प्राणायाम शरीर और दिमाग को शीतलता प्रदान करता है, इस प्राणायाम का मूल उद्देश्य हमारे तंत्रिका तंत्र और अंत स्त्रावी ग्रंथियां पर सकारात्मक प्रभाव डालना है, हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती जिससे आपकी धमनियों को नुकसान पहुंचता है और दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर जटिलताओं को जन्म देता है ।हृदय के संकुचन के दौरान दर्ज दबाव को "सिस्टोलिक रक्तचाप" (SBP) कहा जाता है, और हृदय को शिथिल करने के दौरान दर्ज दबाव को "डायस्टोलिक रक्तचाप" (DBP) कहा जाता है। शीतली प्राणायाम सिस्टोलिक रक्त दबाव को नियंत्रित करने का कार्य करता है और रक्त के संचरण को सामान्य करता है जो 120mmHg से ऊपरी रक्त दबाब होता है, जिससे हम हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्या से बच सकते हैं, शीतली प्राणायाम के अभ्यास के लिए सबसे पहले हम किसी भी आरामदायक ध्यान करने के आसन में बैठ जायें। हाथों को चिन या ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रख ले। आँखें बंद कर लें और पूरे शरीर को शिथिल करने की कोशिश करें जँहा तक संभव हो सके तनाव के बिना जीभ को मुंह के बाहर निकाले और जीभ के किनारों को रोल करें ताकि यह एक ट्यूब या नालिका जैसी बन जाए। इस ट्यूब के माध्यम से साँस अंदर लें।साँस लेने के अंत में, जीभ को मुंह में वापिस अंदर ले लें और मुह बंद कर लें। नाक के माध्यम से साँस छोड़ें।श्वास लेते समय तेज हवा के समान ध्वनि उत्पन्न होनी चाहिए।जीभ और मुंह की छत पर बर्फ़ीली शीतलता का अनुभव होगा यह एक चक्र है। इस प्रकार, 5 मिनिट तक अभ्यास करे, इस प्राणायाम के अभ्यास से कई लाभ प्राप्त होते हैं जिसमे,शीतली प्राणायाम शरीर और दिमाग को शीतलता प्रदान करता है, यह जैविक ऊर्जा और तापमान विनियमन से जुड़े महत्वपूर्ण मस्तिष्क केन्द्रों को प्रभावित करता है,मानसिक और भावनात्मक उत्तेजना को शांत करता है,और पूरे शरीर में प्राण के प्रवाह को प्रोत्साहित करता है।यह मांसपेशियों को शिथिल करता है सोने से पहले इसे प्रशांतक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।शीतली प्राणायाम भूख और प्यास पर नियंत्रण देता है, जिससे तृप्ति की भावना पैदा होती है।रक्तचाप और उदार की अम्लता को कम करने में मदद करता है, इस प्राणायाम के अभ्यास से पहले हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिसमें, कम रक्तचाप या श्वसन विकार जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अत्यधिक बलगम से पीड़ित लोगों को इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए ,जिन्हे हृदय रोग हो उन्हे शीतली प्राणायाम के अभ्यास में श्वास नहीं रोकना चाहिए,यह अभ्यास कम ऊर्जा केंद्रों के कार्यों को मंद करता है, इसलिए, पुरानी कब्ज से पीड़ित लोगों को शीतली प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए,आम तौर पर, इस प्राणायाम को सर्दियों में या ठंडी जलवायु में नहीं करना चाहिए। शीतली प्राणायाम पर हुए एक शोध के अनुसार उच्च रक्तचाप (एचटीएन) एक दीर्घकालिक चिकित्सीय स्थिति है जो दुनिया भर में लगभग 1 अरब लोगों को प्रभावित करती है। योग, जिसे आम तौर पर शारीरिक मुद्राओं की एक श्रृंखला के रूप में माना जाता है, जिसमें शीतली प्राणायाम (सांस लेने का अभ्यास) और ध्यान भी शामिल है। इसमें तनाव में कमी और स्वायत्त तंत्रिका तंत्र के शरीर विज्ञान में संशोधन के संयोजन के माध्यम से रक्तचाप (बीपी) को कम करने की क्षमता है। प्राणायाम सांस को लम्बा करने और नियंत्रित करने की कला है और सांस लेने के पैटर्न के प्रति सचेत जागरूकता लाने में मदद करता है। वर्तमान परिणाम से पता चला है कि शीतली प्राणायाम बीपी और आर आर अंतराल को कम करके पैरासिंपैथेटिक प्रभुत्व के पक्ष में स्वायत्त संतुलन को स्थानांतरित करके उच्च रक्तचाप से ग्रस्त रोगियों के लिए फायदेमंद माना गया है
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