बाहर वाले हमेशा सही मिले यह भी जरूरी नहीं है -जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट यूथ मोटिवेटर लाइफ कोच
बाहर वाले हमेशा सही मिले यह भी जरूरी नहीं है -जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट यूथ मोटिवेटर लाइफ कोच
व्यक्तित्व निर्माण में परिवार की भूमिका पर हुई चर्चा
गुना-स्वामी विवेकानंद ग्रुप एवं राष्ट्रीय युवा योजना इकाई गुना एवं भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ गुना के संयुक्त तत्वावधान में संचालित स्वामी विवेकानंद स्वाध्याय एवं अध्ययन सामग्री केन्द्र के अन्तर्गत निशुल्क कोचिंग क्लासेस एवं मार्गदर्शन पर साप्ताहिक कक्षा भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ कार्यालय पर दो सत्रों में रही।पहले सत्र में जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट यूथ मोटिवेटर एवं लाइफ कोच ने ट्रिक के माध्यम से भारत के पड़ोसी देशों एवं किस राज्य की सीमा किस देश से लगी है उन्हें याद कराया।
दूसरे सत्र में मार्गदर्शक के रूप में यूथ मोटिवेटर एवं लाइफ कोच जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट ने व्यक्तित्व निर्माण में परिवार की भूमिका पर पर चर्चा की और बताया कि परिवार में एक कोई ऐसा रिश्ता होना चाहिए जिससे आप अपने मन की बातें शेयर कर सको।अगर वो व्यक्ति घर में नहीं होगा तो आप उसे बाहर खोजोगे और बाहर वाले हमेशा सही मिले यह भी जरूरी नहीं है। परिवार और युवा पीढ़ी के बीच जो गैप होता है लोग हमेशा इसका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।एक अच्छे व्यक्तित्व निर्माण में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारी आन्तरिक और बाहरी आदतों पर प्रारम्भिक प्रभाव परिवार का ही पड़ता है। परिवार हमें नैतिक शिक्षा, नैतिक मूल्य, सद्व्यवहार की शिक्षा हमें देता है जो बाहर हमें अच्छे बुरे में अन्तर करना सीखाती है।जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो परिवार प्रदत्त शिक्षा और ज्ञान के बल पर सब का समाना कर पाते हैं।
तीसरे सत्र में करियर और कैरियर में अन्तर बताते हुए कहा कि युवाओं को हमेशा अपनी होवी को ही करियर बनाना चाहिए जिससे उसमें शत् प्रतिशत दे सके। करियर का चुनाव हमेशा सोच समझकर करना चाहिए।करियर चयन में सफलता और उपलब्धि के स्थान पर आत्म सन्तुष्ठी को देखना चाहिए। क्योंकि बड़े बड़े पदों पर पहुंचकर और धन दौलत के बाद भी व्यक्ति खुश नहीं रह पाता।लेकिन जिनको सन्तुष्टी मिल जाती है उनका जीवन प्रेरणादायक हो जाता है।इस अवसर पर प्रियांशु धाकड़ ने कहा कि मैं यह पहली बार आया मुझे यह आकर बहुत सारे सवालों के ज़बाब मिले जिन को लेकर में बहुत असमंजस में रहता है। दीपक बंजारा ने कहा कि मैं यह तीन बार से यह आ रहा हूं हर बार कुछ नया सीखकर जाता हूं। यशपाल जाटव ने कहा कि आकर मेरे बोलने और सोचने की क्षमता बढ़ी है। आलोक चौधरी ने कहा कि पहले में बात करने में घबराता था और कंपकंपी आती थी हार्ट बीट बढ़ जाती थी।अब कुछ नहीं होता और लगता है मेरा नम्बर जल्दी आ जाये। साजिया खान ने कहा हम बहुत बार अपने पेरेंट्स से कुछ भी कह देते हैं और हमें लगता है वो हर बार गलत होते हैं लेकिन सर की बात सुनकर लगता है वो हमेशा सही होते हैं और हमें अपनी ग़लती का एहसास भी यह आकर हो जाता है।इस अवसर पर प्रताप रजक,साक्षी कुशवाह, निशा खान, राधिका धाकड़, अनामिका जाटव,आशीष रजक,सौरभ बैरागी ने भी अपने विचार रखे।
कोई टिप्पणी नहीं