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भगवान बुद्ध ने दिया करूणा, दया, अहिंसा और मानवता का संदेश- कैलाश मंथन

भगवान बुद्ध जयंती पर मानव धर्म का दिया गया संदेश, अंचल में बुद्ध पूर्णिमा पर हुए कार्यक्रम

भगवान बुद्ध ने दिया करूणा, दया, अहिंसा और मानवता का संदेश- कैलाश मंथन

दुखी प्राणीमात्र की सच्ची सेवा ही मानव मात्र का कर्तव्य- कैलाश मंथन


गुना। चिंतन मंच, विराट हिउस के तहत भगवान बुद्ध की जयंती गरीबों को भोजन वितरण एवं गौवंश को हरा चारा खिलाकर मनाई गई। इस मौके पर हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने कहा कि वर्तमान  काल के दौर में सबसे बड़ा मानव धर्म है दुखी पीडि़त प्राणियों की नि:स्वार्थ भाव से सच्ची सेवा करना। बैशाख  सुदी बुद्ध पूर्णिमा पर चिंतन हाउस सर्राफा बाजार में आयोजित बौद्घिक  गौष्ठी  में विचार व्यक्त  करते हुए श्री मंथन ने कहा कि करूणामय बुद्ध ने दुख से पीडि़त संसार को करूणा, दया, प्राणीमात्र के प्रति सेवाभाव का संदेश देकर मनुष्य लोक में भगवान के अवतार का दर्जा प्राप्त किया। मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है। वर्तमान काल में जो लोग पीडि़त मानव की सेवा कर रहे हैं वो महान हैं । श्री मंथन ने कहा कि भगवान बुद्ध की धारणा थी कि वे शाश्वत सनातन धर्म का ही उपदेश कर रहे हैं। उन्होंने मनुष्य को पशुता की ओर जाने से वर्जित करके मानवता का संदेश दिया है। श्री मंथन ने कहा कि वर्तमान में भगवान बुद्ध के शाश्वत उपदेशों को पूरे विश्व ने अंगीकृत किया है। भारत की एकता एवं अखंडता तभी संभव है जबकि भगवान बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात किया जाए। भगवान बुद्ध ने साधन के अष्ट अंग बताए हैं। इसके तहत सत्य विश्वास, नम्र वचन, उच्च लक्ष्य, सदाचरण, सद्वृत्ति आदि अष्टांगमार्ग निर्धारित किए गए हैं। भगवान बुद्ध के बताए चार आर्य सत्य के तहत सब कुछ क्षणिक और दु:ख रूप है, तृष्णा ही दु:खों का कारण है, उपादान सहित तृष्णा का नाश होने से दु:खों का नाश होता है, ह्दय से अहंभाव और राग-द्वेष की निवृत्ति होने पर ही निर्वाण की प्राप्ति होती है।


श्री मंथन ने बताया कि भगवान बुद्ध ने जिस जीव दया और अहिंसा धर्म का उपदेश दिया था, उनके शिष्यों ने सुदूर देशों श्रीलंका, जावा, सुमात्रा, चीन, जापान, ब्रह्मदेश, श्याम, थाईलेंड सहित अनेकों देशों में प्रचारित किया। बुद्ध धर्म के कारण ही भारत से बाहर भी भारतीय धर्मभाव, साहित्य, कला एवं संस्कृति का व्यापक प्रचार हुआ। 45 वर्ष तक धर्म प्रचार कर 80 वर्ष की अवस्था में ईस्वी सन से 535 वर्ष पूर्व गोरखपुर के निकट कुशीनगर में भगवान ने निर्वाण प्राप्त किया। चिंतन मंच के तहत महापुरूषों एवं अवतारों की जयंती पर बौद्धिक सभाएं पिछले कई वर्षों से की जा रही हैं। कार्यक्रम में विराट हिन्दू उत्सव समिति, चिंतन मंच, जनसंवेदना  के  कार्यकर्ताओं ने भगवान बुद्ध को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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