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अखिल भारतीय साहित्य परिषद मध्य भारत प्रांत की प्रांतीय संगोष्ठी प्रकृति का अनुपम क्षेत्र पचमढ़ी के समीप बनखेड़ी नर्मदापुरम में संपन्न हुई

अखिल भारतीय साहित्य परिषद मध्य भारत प्रांत की प्रांतीय संगोष्ठी प्रकृति का अनुपम क्षेत्र पचमढ़ी के समीप  बनखेड़ी नर्मदापुरम में संपन्न हुई


संगोष्ठी में साहित्य का प्रदेय विषय पर देश और प्रदेश के ख्यातिनाम साहित्यकारों ने वक्तव्य दिये। कार्यक्रम में सम्मिलित हुए परिषद के जिलाध्यक्ष ऋषिकेश भार्गव ने कहा ये भाऊसाहब भस्कुटे न्यास, बनखेड़ी में हुए इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता साहित्य परिषद के केंद्रीय महामंत्री ऋषि कुमार मिश्र एवं मुख्य अतिथि प्रदेश के परिवहन एवं स्कूली शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह  रहे।

मुख्य वक्ता ने विषय पर बोलते हुए कहा कि साहित्य के द्वारा समाज व देश में सकारात्मक सोच का विकसित होना साथ ही रचनात्मक विचारों के माध्यम से परिवर्तन होना ही उद्देश्य होना चाहिए। फूहड़, निरर्थक और केवल मनोरंजक जिसका समाज के विकास तथा उत्थान का अंश नहीं ऐसे सृजन का साहित्य में कोई स्थान नहीं और ना ही वह साहित्य।

द्वितीय सत्र में प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। आपकि अभी तक 12 पुस्तकों का ओरकाशन हो चुका है। एक साहित्यकार कि जिम्मेदारी को बताते हुए कहा कि जब तक लेखन में सकारात्मक, रचनात्मक व समाज को दिशा देने का बोध हो वही साहित्य समाज के लिए उययोगी है, समाज के लिए साहित्य का यही प्रदेय है।

दो दिन चली इस संगोष्ठी में गुना जिले के परिषद के अध्यक्ष ऋषिकेश भार्गव, महामंत्री प्रीती गुप्ता व मंत्री जयश्री बोहरे ने प्रतिभाग किया। गुना की साहित्यकार डॉ रमा सिंह ने गुना अशोकनगर अंचल के साहित्यकार श्री श्रीकृष्ण सरल जी के साहित्य पर लिखे आलेख का वाचन पांचवे सत्र में ऋषिकेश भार्गव ने किया जिसे उपस्थित साहित्यकारों ने सराहा।

प्रथम दिवस के अंतिम सत्र में कवि सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें प्रांत के 16 जिलों से आये हुए साहित्य की विविध विधाओं की कविताओं ने समा बाँध दिया।

द्वितीय दिवस कार्यक्रम का समारोप कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसका संचालन गुना जिले के परिषद अध्यक्ष ऋषिकेश भार्गव ने किया। इस सत्र में राष्ट्रीय महामंत्री ऋषिकुमार मिश्र, प्रदेश महामंत्री प्रवीण गुगनानी, प्रांतीय अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव व प्रांतीय महामंत्री आशुतोष शर्मा मंचस्थ रहे।

इस दो दिवसीय संगोष्ठी में उपस्थित साहित्यकारों को प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। 

सभी साहित्यकारों ने इस विषय को केंद्र बिंदु में रखकर साहित्य सृजन का संकल्प लिया।

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