नदियों का अस्तित्व खतरे में ,जंगल कटाई पर लगे सख्ती से पाबंदी- कैलाश मंथन
नदियों का अस्तित्व खतरे में ,जंगल कटाई पर लगे सख्ती से पाबंदी- कैलाश मंथन
गंगा दशहरा पर लिया पर्यावरण की रक्षा का संकल्प
चिन्तन मंच ने किया नदियों एवं जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित करने का आव्हान
पर्यावरण के नाम पर प्रचार नहीं धरातल पर कार्य हो-कैलाश मंथन
गुना। पर्यावरण एवं गंगा दशहरा महोत्सव के अवसर पर चिंतन मंच के तहत हुए कार्यक्रमों में अंचल के सूखते जा रहे पानी के स्त्रोतों एवं नदियों में फैल रहे प्रदूषण पर चिंता जताई गई। गंगा दशहरा से अंचल की नदियों को पुनजीर्वित करने का आव्हान विराट हिन्दू उत्सव समिति चिंतन मंच के तहत किया गया। बौद्धिक चिंतन गोष्ठी में हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने कहा नदियों के संरक्षण के लिए भागीरथी प्रयत्न जरूरी है। मानवता एवं सृष्टि की रक्षा के लिए भागीरथ के अथक परिश्रम से गंगा धरती पर प्रकट हुई। वर्तमान में नदियों का अस्तित्व खतरे में हैं ऐसे में जल के संरक्षण के लिए जंगलों के काटने पर प्रतिबंध, वृक्षारोपण जरूरी है। देश में हजारों भागीरथों की आवश्यकता है। जो प्रदूषित गंगा, यमुना सहित प्रमुख नदियों एवं अंचल की नदियों को प्रदूषण से मुक्त करवा सकें एवं जल स्त्रोतों को पुनजीर्वित कर सकें। केंद्र एवं प्रदेश सरकार से चिंतन ने मांग की है कि पर्यावरण के नाम पर प्रचार नहीं धरातल पर कार्य हों।
नदियों को अविरल प्रवाहित होने का अधिकार
चिंतन गोष्ठी में श्री मंथन ने कहा कि जिस प्रकार मनुष्य को जीने का अधिकार है उसी प्रकार हमारी नदियों को भी स्वछन्द होकर अविरल व निर्मल रूप से प्रवाहित होने का पूर्ण अधिकार है। नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है, फिर भी जगह-जगह प्रदूषित जल गंगा में प्रवाहित किया जाता है। नदियों में शौच करना, फूल और पूजन सामग्री डालना, उर्वरक, कीटनाशक, घरों, शहरों, उद्योगों, एवं कृषि से निकलने वाला अपशिष्ट जल बिना पुर्ननवीनीकरण एवं उपचारित किए विशाल मात्रा में नदियों एवं प्रकृति में प्रवाहित कर दिया जाता है, जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करता है। इससे प्रकृति के मूल्यवान पोषक तत्व भी नष्ट हो रहे हैं तथा जलीय जीवन भी प्रभावित हो रहा है। अनुपचारित जल से पेचिस, टायफाइड, पोलियो जैसी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। स्वच्छ जल, स्वच्छता एवं स्वच्छता सुविधाओं की आवश्यकता मनुष्य के साथ जलीय प्राणियों एवं पर्यावरण को भी है।
अंचल में गंगा दशहरा के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय निशुल्क गीता प्रचार मिशन, विराट हिन्दू उत्सव समिति, चिंतन मंच के तहत विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन हुआ। इस मौके पर गंगा मंदिर, पुष्टिमार्गीय केंद्रों, श्री गोवर्धनाथ मंदिर सहित अंचल के विभिन्न सत्संग मंडलों में श्री गंगा दशहरा के अवसर पर विशेष मनोरथ एवं यमुना महोत्सव संपन्न हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए पुष्टिमार्गीय केंद्रों पर परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने कहा कि भागीरथ प्रयत्नों से ही कठिन से कठिन काम की सिद्धी होती है। असंभव को संभव बनाया जा सकता है। इस अवसर पर पुष्टिमार्गीय केंद्रों पर वृक्षारोपण एवं भगवान के सुंदर दरवार की झांकियां लगाई गईं।
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