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जगन्नाथ रथ यात्रा सनातन संस्कृति का प्रतीक - कैलाश मंथन

अंचल में उत्साह से मनाया गया श्री जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव

जगन्नाथ रथ यात्रा सनातन संस्कृति का प्रतीक - कैलाश मंथन

पुष्टिमार्गीय केंद्रों पर विशेष नक्षत्र में हुए भव्य आयोजन


गुना। श्री जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा महोत्सव के तहत अंचल के धार्मिक केंद्रों, वैष्णव मंदिरों एवं सत्संग मंडलो विशेष मनोरथ एवं उत्सव आयोजित किए गए। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया प्रदेश एवं अंचल के सभी वैष्णव मंदिरों पर रथयात्रा पर विशेष मनोरथ हुए। पुष्टिमार्गीय सनातन संस्कृति के केंद्रों पर रथयात्रा उत्सव के तहत संकीर्तन, सत्संग के भव्य कार्यक्रमआयोजित  किये गये। 

इस अवसर पर शहर के चिंतन सत्संग मंडल में पुष्टिमार्गीय परिषद के जिला संयोजक एवं हिउस प्रमुख कैलाश मंथन ने जगन्नाथ रथयात्रा पर  प्रकाश डालते हुए कहा कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का वर्णन पद्म पुराण, ब्रह्म पुराण, स्कंद पुराण,नारद पुराण तथा अन्य कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस रथ यात्रा के दर्शन मात्र भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जो भक्त इस रथ को खींचते हैं उन्हें सौ यज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। पद्मपुराण के अनुसार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से प्रांरभ होती है और रथ यात्रा का समापन देवशयनी एकादशी के दिन होता है। श्री मंथन ने बताया कि रथ यात्रा में सबसे आगे भगवान बलभद्र का रहता है जिसे तालध्वजा कहते है इसके बाद देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का गरूड़ध्वज रथ चलता है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ हर साल अपनी मौसी के घर गुण्डीचा की यात्रा पर अपने भाई-बहन के साथ जाते हैं और यहां सात दिन विश्राम करके घर लौटते हैं। रथ के निर्माण में किसी प्रकार के कील, पेंच या धार दार वस्तु का प्रयोग नहीं होता है। रथ को खीचंने के लिए रस्सों का प्रयोग किया जाता है। भगवान जगन्नाथ के में रथ 16 पहियों लगे होते हैं और इसकी ऊचांई 45 फीट होती है। रथ के ऊपर हनुमान जी और नरसिंह भगवान के प्रतीक चिन्ह बने रहते हैं। रथ पुरी के जगन्नाथ धाम से निकल कर 3 किलो मीटर दूर गुण्डीचा बारी जाते हैं, जहां भगवान जगन्नाथ सात दिन विश्राम करके एकादशी की तिथि पर वापस घर लौटते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त श्रद्धाभाव से रथ को खीचंता है उसे सौ यज्ञों के समान फल की प्राप्ति होती है।

 चिंतन हाउस में विशेष वार्ता प्रसंग हुआ। वहीं श्रीनाथ जी के मंदिर सहित सत्संग मंडलों में विशेष मनोरथ आरती हुई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान अंर्तराष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के जिलाध्यक्ष कैलाश मंथन ने कहा कि श्री जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा प्राचीनकाल से चली आ रही है। भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण परम्परा है। श्री जगन्नाथ जी के मंदिर का जीर्णोद्धार सातवीं शताब्दी में हुआ था। रथ यात्रा का भाव यह है कि यह शरीर एवं रथ है। इस पर आरूढ़ होने वाला स्वामी जीवात्मा है। जीवात्मा का यह वाहन आनंद की प्राप्ति हेतु मिला है। दसों इंद्रियां इस रथ के घोड़े हैं, मन इन घोड़ों को नियंत्रण में रखने वाली बागडोर है। इंद्रियों के घोड़े विषयों की सड़क पर चलते हुए मुक्ति की यात्रा में बढ़ते हैं। शहर के श्रीनाथ जी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, गोपाल मंदिर, चिंतन हाउस सर्राफा बाजार में भगवान कृष्ण, बलरामजी एवं सुभद्रा जी को लेकर विशेष कथा वार्ता संपन्न हुई। विराट हिन्दू उत्सव समिति के प्रमुख कैलाश मंथन ने कहा कि श्री जगन्नाथ रथ यात्रा भारतीय संस्कृति का प्रमुख अंग है। यह यात्रा पूर्वीय सभ्यता की पौराणिक छवि एवं वर्तमान में भारत की धार्मिक एवं भावनात्मक एकता का दिग्दर्शन कराती है। श्री मंथन ने कहा कि करोड़ों सनातन धर्मियों, हिन्दू समाज की धार्मिक, सांस्कृतिक एकता की विरासत है श्री जगन्नाथ रथ यात्रा। अपने संदेश में समिति संस्थापक कैलाश मंथन ने कहा कि हम अपने अतीत के गौरव को पहचान कर देश धर्म एवं समाज की सेवा में अपना जीवन अर्पित करें।  चिंतन हाउस में हुए धार्मिक समागम में भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की।

अ.पु. मार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि क्षेत्र में करीब 150 धार्मिक केंद्रों, ग्रामों, सत्संग मंडलों, मंदिरों में रथ यात्रा उत्सव आयोजित हुए। ध्यान रहे गुना जिले के बमोरी, राघौगढ़, बीनागंज, गुना क्षेत्र में करीब एक लाख वैष्णव पुष्टिमार्ग से जुड़े हैं। दो सैकड़ा से अधिक गांवों में वैष्णव परिषद का कार्य विस्तारित हुआ है। परवाह, लालोनी, कॉलोनी, ऊमरी, भिडरा, मगरोड़ा, बने सहित महत्वपूर्ण केंद्रों पर रथ यात्रा महोत्सव के तहत विशेष मनोरथ संपन्न हुए। इस अवसर पर निशुल्क गीता प्रचार मिशन भारत नारी शक्ति चिन्तन मंच के तहत  विशेष कार्यक्रम हुए।निशुल्क गीता वितरण किया गया ।

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