मुगलकाल में गोसांई श्री विट्ठल नाथ जी ने सनातन धर्म की रक्षा की- कैलाश मंथन
जलेबी महोत्सव के रूप में मनाया गया गोसांई जी का 510 वां प्राकट्योत्सव
पुष्टिभक्ति केंद्रों पर प्रभात फेरी के साथ तीन दिवसीय कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
मुगलकाल में गोसांई श्री विट्ठल नाथ जी ने सनातन धर्म की रक्षा की- कैलाश मंथन
मोर, वानर एवं गोवध पर प्रतिबंध लगवाया था गोसांई श्री विट्ठलनाथ नेः कैलाश मंथन
गुना शहर एवं बमोरी क्षेत्र के 127 भक्ति केंद्रों पर हुए भव्य कार्यक्रम, जलेबी का भोग लगाया गया ठाकुर जी को
*गुना। मध्य भारत अंचल में में
श्री विट्ठलनाथ गुंसाई जी का 510 वां प्राकट्योत्सव दिवस मंगलवार को उमंग एवं उल्लास के साथ पुष्टिमार्गीय भक्ति केंद्रों पर मनाया गया। शहर के श्रीनाथ जी मंदिर, बमोरी क्षेत्र सहित अंचल के वैष्णव सत्संग मंडलों में गुसांई जी का प्रादुर्भाव दिवस विशेष जलेबी महोत्सव के साथ संपन्न हुआ। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख एवं जिला संयोजक कैलाश मंथन ने बताया कि पुष्टिमार्ग में श्री गुसांईजी विट्ठलनाथजी के समय से जलेबी महोत्सव की परंपरा पिछले पांच सौ वर्षों से चली आ रही है। श्री ठाकुर जी को विशेष रसयुक्त जलेबियों का भोग धराया जाता है। यह प्रभु की रसात्मक प्रेमाभक्ति लीला का भाव होता है। प्रभु की भक्ति रस का सार है। अंचल के वैष्णवों ने जलेबी महोत्सव में भक्ति रसानुभूति की। दौरान सुबह से ही गोवर्धननाथ मंदिर, सत्संग मंडलों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्घालु मौजूद रहे। अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि भक्ति केंद्रों पर सुबह से ही अखंड जाप के साथ नंद महोत्सव मनाया गया। इस दौरान भगवान को पालना झुलाने के साथ-साथ तिलक आरती की गई। जिला मुख्यालय पर भी श्रीनाथजी के मंदिर पर कार्यक्रमों का सिलसिला दिनभर चलता रहा। इस दौरान जिलेभर में भगवान श्रीनाथजी के मंदिरों में अखंड जाप, प्रभातफेरी निकाली गई। वही पालना महोत्सव व तिलक आरती आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें श्रद्घालुओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। जिले के भौंरा ग्राम के स्थित वल्लभ सदन मंदिर में भी वैष्णवजनों ने गुसांईजी की जयंती धार्मिक रीति-रिवाजों व उल्लास उमंग के साथ मनाई गई। शहर के चिंतन हाउस में भी गुंसाई जी पर केंद्रित वार्ता प्रसंग में बड़ी संख्या में वैष्णव सम्मिलित हुए।
इस मौके पर वार्ता प्रसंग में वैष्णवों के बीच अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि मुगल काल में जब सनातन धर्म पर आघात किए जा रहे थे उस समय पौष कृष्ण नवमी संवत 1572 में जन्में श्री विट्ठलनाथजी ने पुष्टिभक्ति के द्वारा धार्मिक क्रांति पैदा की थी। उन्होंने अकबर जैसे शासक को भी भारतीय धर्म, संस्कृति के प्रति नतमस्तक कर दिया था। बादशाह के प्रमुख नवरत्न बीरबल, तानसेन, राजा मानसिंह, टोडरमल एवं महान साहित्यकार रसखान, अष्टछाप के प्रसिद्घ कवि सूरदास एवं अन्य महाकवि श्री विट्ठलनाथ जी के सानिध्य में रहे व सनातन संस्कृति को संरक्षित किया। उन्होंने कहा कि श्री विट्ठलनाथ के प्रयासों से मुगलकाल में गौवध, वानर एवं मोर आदि के शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया। श्रीनाथजी सहित ठाकुरजी के अन्य सात स्वरूपों की स्थापना के बाद पुष्टिभक्ति के प्रचार के लिए सात गद्दियां अपने वंशजों के सुपुर्द की। श्री मंथन ने बताया कि गुंसाईजी के शिष्यों की गाथा 252 वैष्णवों की वार्ता में भी संकलित हैं। यह ग्रंथ उनके पुत्र गोकुल नाथ द्वारा रचित ब्रज भाषा की अमूल्य धरोहर भी माना जाता है। उन्होंने बताया कि गुसांईजी ने करीब 50 ग्रंथों, स्त्रोतों एवं टीकाओं का सृजन किया। इस मौके पर पुष्टिमार्गीय परिषद के तहत ग्राम बमोरी, फतेहगढ़ क्षेत्र, भौंरा, भिडरा, रतनपुरा, परवाह, बने, ऊमरी, लॉलोनी, बागेरी, मगरोड़ा क्षेत्र सहित जिले के मधुसूदनगढ़, कुंभराज, बीनागंज, राघौगढ़, बमोरी क्षेत्र के 127 ग्रामों में सत्संग मंडलों में हुए कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में वैष्णवजन शरीक हुए।वहीं बमोरी क्षेत्र में श्री वल्लभाश्रय सदन भौंरा में 26 दिसंबर तक गोस्वामी श्री मिलन कुमार जी के सानिध्य में श्री गोसाई जी की जयंती पालना नंद महोत्सव मनाया जाएगा।
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