बढ़ता पीसीओडी रोग बना गर्भाशय कैंसर के लिए खतरा बचाव के लिए करे योग-प्राणायाम:- योगाचार्य महेश पाल
बढ़ता पीसीओडी रोग बना गर्भाशय कैंसर के लिए खतरा बचाव के लिए करे योग-प्राणायाम:- योगाचार्य महेश पाल
आज के समय में व्यस्त जीवन और खराब लाइफस्टाइल की वजह से कई सारी समस्या उत्पन्न हो रही है लोगों को खुद के स्वास्थ्य पर ध्यान देने का समय नहीं मिल पा रहा है खासकर महिलाएं जो घर और बाहर के कामों को तो अच्छे से संभाल लेती हैं लेकिन खुद की छोटी-छोटी समस्याओं को नजर अंदाज कर देती है वह छोटी-छोटी समस्याएं आगे जाकर गंभीर बीमारी के रूप में उभरती हैं इन्हीं में से एक है पीसीओडी, योगाचार्य महेश पाल बताते है कि, जब पीसीओडी होता है तो हमारे सामने कई लक्षण नजर आते हैं जिनमें चेहरे पर कील मुहासे होना, वजन बढ़ना, अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स का पूरी तरह बंद हो जाना, ज्यादा रक्तस्राव होना, त्वचा का काला पड़ना, चेहरे पर बाल उगना, सर दर्द होना नींद में कमी आदि, पीसीओडी(PCOD) यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज, पीसीओडी की समस्या महिलाओं और लड़कियों में बहुत ही कॉमन हो गई है, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ एंड रिसर्च के अनुसार हमारे देश में करीब 10% से भी अधिक महिला आबादी पीसीओडी की समस्या से ग्रसित हो गई है और यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, पीसीओडी का मतलब है पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज जो महिलाओं में सबसे तेजी से बढ़ रहा है यह महिला में होने वाला एक हार्मोनल विकार है जहां हार्मोन संतुलन बिगड़ने के कारण ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट का निर्माण होता है जो गांठ की तरह दिखाई देते हैं पीसीओडी के कारण महिलाओं में बांझपन,अनियमित पीरियड्स, इत्यादि जैसी कई समस्याएं सामने आती है, पीसीओडी की समस्या अधिकतर 14 वर्ष से 45 वर्ष की लड़कियों व महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती हैं, पीसीओडी होने के पीछे कई कारण है जिसमें अनहेल्दी लाइफस्टाइल, आनुवांशिक कारण, मोटापा इन्सुलिन रेजिस्टेंस, हाइड्रोजन लेवल का हाई होना, फास्ट फूड जंक फूड का सेवन, अव्यवस्थित भोजनाचार्य,सिगरेट शराब या नशीली पदार्थों का सेवन, पीरियड्स असंतुलन होना, योग प्राणायाम मेडिटेशन व व्यायाम न करना, तनाव मै रहना आदि कारणों की वजह से महिलाएं पीसीओडी की समस्या से ग्रसित हो जाती हैं, ओव्यूलेशन की कमी गर्भाशय के स्तर को हर एक मेन्स्ट्रुअल के समय बहने से रोकती है। पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं को साल में नौ पीरियड्स कम आते हैं जिससे कि गर्भाशय की मोटी परत काफी बढ़ जाती है। इस वजह से एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया और एंडोमेट्रियल कैंसर अंतगर्भाशय मैं होने का खतरा बढ़ जाता है, पीसीओडी की समस्या से बचाव के लिए सहयोगी चिकित्सा के रूप में हमें हमारे दैनिक दिनचर्या में योग प्राणायाम को महत्व देना चाहिए जिसमें, भुजंगासन,शसकासन, बद्धकोणासन,उष्ट्रासन, सेतुबंध आसन, तितली आसान,सूर्यनमस्कार भुजंगासन-पेल्विक एरिया पर हल्का दबाव डालता है, अंडाशय को उत्तेजित करता है,और पीसीओडी के लक्षणों को दूर करने में मदद करती है।,शसकासन- यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को शांत करके विश्राम प्रदान करता है। मासिक धर्म में ऐंठन और पीएमएस के लक्षणों में सुधार करता है, बद्धकोणासन- पेल्विक एरिया में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है, उष्ट्रासन- यह मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करता है, सूर्य नमस्कार- मन की एकाग्रता बढ़ाने और वेट लॉस कर शरीर को लचीला बनाता है, नौकाचलानासन- करने से पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से राहत मिलती हैं एवं हार्मोंस को बैलेंस करने में मदद मिलती है। नाड़ीशोधन प्राणायाम- तनाव को कम करता है और हारमोंस को बैलेंस करता है, कपालभाति - ओवेरी में सिस्ट होने से बचाता है और आंतरिक अंगों को स्वस्थ बनाता है, भ्रामरी प्राणायाम- तनाव व अनिद्रा की समस्या को दूर करता है एवं हार्मोन बैलेंस करता है, दिन प्रतिदिन अवस्थित दिनचर्या व भोजनचर्या के कारण हम कई छोटी-छोटी समस्याओं से घिर रहे हैं सभी समस्याओं से बचाव में सहायक है योग प्राणायाम, हमारे जीवन में योग को महत्व दें और स्वयं को स्वस्थ व सामर्थवान बनाएं,
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