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भारत को सशक्त सैनिक क्रांति का संदेश दिया नेताजी सुभाष ने - कैलाश मंथन

भारत को सशक्त सैनिक क्रांति का संदेश दिया नेताजी सुभाष ने - कैलाश मंथन

सशक्त सैनिक क्रांति के उद्घोषक थे सुभाषचंद्र बोस-कैलाश मंथन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति में हुआ वृक्षारोपण

सुभाष जयंती  पराक्रम दिवस पर हुई चिंतन गोष्ठी


गुना। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की स्मृति में कलेक्ट्रेट उद्यान में चिंतन मंच की ओर से संयोजक कैलाश मंथन द्वारा वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर चिंतन मंच प्रमुख कैलाश मंथन ने कहा बीसवीं सदी में अंग्रेजों की दासता में जकड़े भारत में मातृभूमि के प्रति स्वाभिमान की ज्वाला जाग्रत की। आम भारतीय को सैनिक सत्ता का महत्व समझाया।आजाद हिन्द फौज की स्थापना कर संसार में फैली तानाशाही को चुनौती दी। नेताजी की जयंती के अवसर पर व महापुरूष चिंतन गोष्ठी श्रृंखला के तहत चिंतन हाउस में वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। चिंतन मंच के संयोजक कैलाश मंथन ने कहा कि बीसवीं सदी में विश्व के धरातल पर सुभाषचंद्र बोस एकमात्र ऐसे महान नेता के रूप में उभरे जिन्होंने भारत की गुलामी के चलते अंग्रेज सरकार को स्वयं के बूते पर आजाद हिन्द फौज का नारा देकर देश छोडऩे को मजबूर किया। सशस्त्र क्रांति की ज्वाला जगाई। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का क्रांतिकारी नारा दिया। अब समय आ गया है जबकि नेताजी सुभाष के चरित्र से प्रेरणा लेकर राजनेताओं, युवाओं एवं देश के आम नागरिक को भारत माता की रक्षा एवं कट्टरपंथियों के आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सशस्त्र सैनिक बनकर देश की रक्षा का भार उठाना चाहिए।श्री मंथन ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई महापुरूषों ने अपना योगदान दिया था जिनमें सुभाष चंद्र बोस का नाम भी अग्रणी है। सुभाष चन्द्र बोस ने भारत के लिए पूर्ण स्वराज का सपना देखा था।भारत को परतंत्रता की बेडिय़ों से मुक्त कराने के लिए किए उनके आंदोलन की वजह से सुभाष को कई बार जेल भी जाना पड़ा। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को तेज करने के लिए आजाद हिन्द फौज का गठन किया था।

संगोष्ठी में श्री मंथन ने बोस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस था जो उस समय के प्रख्यात वकील थे। इनकी माता का नाम प्रभावती था। बचपन से ही सुभाष चन्द्र बोस पढ़ाई में बहुत होनहार थे। देशभक्ति का जज्बा उनके अंदर कूट-कूट कर भरा था, भारतीयों पर अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे  अन्याय और अत्याचार के वह सख्त खिलाफ थे। कई यातनाएं सहकर भी उन्होंने भारतीयों पर अंगे्रजों के जुल्मों का विरोध किया। भारत वासियों को राष्ट्र प्रेम के लिए प्रेरित करने वाले नारे तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा और  जय हिन्द सुभाषचन्द्र बोस ने ही दिए। नेताजी को श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में हिउस प्रमुख कैलाश मंथन, श्रीमती विजयश्री रावत कोलकत्ता, श्रीमती रश्मि पांडे लखनऊ, किशोर गर्ग, विवेक किशोर, रामकृष्ण अग्रवाल,, कमला देवी, रामभरोसे देवलिया, सूरज पंत सहित अनेकों कार्यकर्ताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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