स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से ओजस्वी तेजस्वी बनाने के लिए सूर्य नमस्कार योग की संरचना की - योगाचार्य महेश पाल
स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से ओजस्वी तेजस्वी बनाने के लिए सूर्य नमस्कार योग की संरचना की - योगाचार्य महेश पाल
गुना -12 जनवरी 2025 को स्वामी विवेकानंद जी की 162 वी जन्म उत्सव को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में "राष्ट्र निर्माण के लिए युवा सशक्तिकरण" थीम पर मना रहे हैं, राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर पूरे देश में सूर्य नमस्कार का सामूहिक अभ्यास किया जाता है, योगाचार्य महेश पाल बताते है कि, संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1984 ई. को 'अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष' घोषित किया गया। इसके महत्त्व का विचार करते हुए भारत सरकार ने 1984 को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा की 1985 से यह आयोजन हर साल भारत में युवाओं को सशक्त, स्वस्थ, समृद्धसाली, ओजस्वी तेजस्वी व राष्ट्र निर्माण के प्रति जागरूक बनाने के उद्देश्य यह दिवस प्रति वर्ष मनाया जाता है।युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए संबोधित करते हुए कहा “उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत”अर्थात उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक कि अपने लक्ष्य तक न पहुंच जाओ। यह मूल मंत्र कमोबेश हर युवा के दिल में एक चित्र के रूप में शोभायमान होना चाहिए,स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म12 जनवरी, 1863 कलकत्ता मै हुआ था उनका देवलोक गमन 4 जुलाई 1902 को हुआ, स्वामी रामकृष्ण परमहंस उनके गुरु थे योगग्रंथों के अनुसार स्वामी विवेकानंद स्वयं राजयोगी थे, सभी योग मै राज योग सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार सूर्य नमस्कार योग से युवा सशक्त व ऊर्जावान बनता है ,युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं। युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वाकांक्षाओं से भरे हुए होते हैं। उनकी आंखों में भविष्य के इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं। समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है। युवा बेहतर भविष्य के लिए मतदान के माध्यम से ईमानदार और विकासपरक सोच वाले प्रतिनिधि को चुनने और भ्रष्ट लोगों का सामाजिक दुत्कार को पहली सीढ़ी मानते हैं। समाज में तेजी से आ रहे बदलाव के प्रति बड़ी संख्या में युवाओं का नजरिया शार्टकट की बजाय कर्म और श्रम के माध्यम से सफलता प्राप्त करने की ओर होना जरूरी है लेकिन दिन प्रतिदिन वर्तमान समय में युवाओं की चाल बदलती जा रही है युवा दिन प्रतिदिन भोग विलासिता की वस्तुओं में लीन होता जा रहा है और दिनचर्या व आहारचार्य के असंतुलन के कारण युवाओं के अंदर कई शारीरिक व मानसिक समस्याएं जन्म ले रही हैं जिसमें मोटापा, तनाव, चिड़चिड़ापन, धूम्रपान, शराब व नशे की लत, दुबलेपन से ग्रसित, पश्चिम सभ्यता की और उन्मुखता, पारिवारिक व सामाजिक उच्च मूल्यों का हीन होना, युवाओं मैं घटती बौद्धिकता, असंतुलित विचार शैली आदि इन समास्याओं से घिरा युवा कैसे राष्ट्र निर्माण में सहयोगी बन सकता हैं हमारे देश का युवा स्वामी विवेकानंद, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसा ओजस्वी, तेजस्वी निरोगी, उच्च संस्कार व चरित्रवान उच्च व्यक्तिवान हो, जिससे समाज को एक नयी दिशा दे सके आज भारत में करीब 48 करोड़ यूथ पॉपुलेशन है। यानी, कुल आबादी के करीब 35% लोग युवा हैं। फिर भी हमारे देश का युवा हमारी सनातन संस्कृति एवं अपनी क्षमताओं को पहचान नहीं पा रहा है वह नकारात्मक विचारों व अनैतिक कार्यों में फसकर अपने उच्च मूल्यों को खोता जा रहा है, युवा का अर्थ है ओजस्वी तेजस्वी,समृद्धबान, असंभव कार्य को भी संभव बनाने की क्षमता रखना उच्च संस्कारवान उच्च व्यक्तिवान, राष्ट्र निर्माण व श्रेष्ठ कार्यों में अग्रिम पंक्ति में रहना, समाज को एक नई दिशा देना, भारतीय सनातन संस्कृति को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाना, स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं का शारीरिक व मानसिक विकास के लिए सूर्य नमस्कार की संरचना की सूर्य नमस्कार के अंतर्गत 12 आसनों का समावेश है, जिसमें- प्रणाम नमस्कार, हस्तोहस्तासन, उतानास अश्व संचालन, दंडासन, साष्टांग नमस्कार, भुजंगासन पर्वतासन, अश्व संचालन,पादहस्तासन, ऊधर्बहस्तासन, प्रणामनमस्कार , सूर्यनमस्कार के अभ्यास से युवा सशक्त व ऊर्जावान बनता है, सूर्यनमस्कार से युवाओं में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं तनाव, मोटापा,स्वांस संबंधी रोगों का समाधान होता है और संस्कारों व चरित्र एवं उच्च विचारों का निर्माण होता है, युवा देश का वर्तमान व भविष्य है, युवाओं का एक दिशा में रहकर कार्य करना और उच्च सफलताओं को प्राप्त करना राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाता है इसलिए आओ युवाओं इस साल हमारी विसंगतियों को छोड़कर सूर्य नमस्कार योग के द्वारा स्वयं को स्वस्थ सशक्त व समृद्ध बनाएं और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाए
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