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गिरि कंदराओं में भक्ति संगीत की स्वर लहरियों के बीच संक्रांति मेला

गिरि कंदराओं में भक्ति संगीत की स्वर लहरियों के बीच संक्रांति मेला 

पर्व और उत्सव भारतीय संस्कृति के प्रमुख अंग- कैलाश मंथन

प्राचीन  विरासत का प्रमुख अंग हैं तीर्थ स्थल संरक्षण जरूरी -कैलाश मंथन*

17 जनवरी को विशाल भंडारे के साथ होगी संक्रांति महोत्सव की पूर्णाहुति


गुना। शहर से ३ किमी दूर दक्षिण में स्थित मालपुर गुफाओं पर मकर संक्रांति पर सिद्धेश्वर महादेव मंदिर गुफा परिसर में भक्ति संगीत की स्वर लहरियों के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वहीं जिले के सबसे बड़े तीर्थ केदारनाथ धाम में भगवान शिव के अभिषेक के साथ मकर संक्रांति महोत्सव का शुभारंभ किया गया। संक्रांति पर्व पर बौद्धिक संकीर्तन सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए हिउस के संस्थापक कैलाश मंथन ने कहा प्राचीन स्थल गुना जिले की विरासत का एक अंग है इसकी सुरक्षा पुरातत्व विभाग एवं प्रदेश सरकार प्रशासन को करना चाहिए। संक्रांति  पर्व पर  हजारों लोगों ने पर्वी स्नान किया।

 विराट हिन्दू उत्सव समिति के तहत प्राचीन धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों पर अनुष्ठान, संकीर्तन एवं सत्संग सभाओं का आयोजन हुआ।शहर के निकट मालपुर गुफाओं पर स्थित कुंड में श्रद्धालुओं ने पर्वी स्नान का आनंद लिया एवं गुफा में विराजमान सिद्धेश्वर महादेव के दर्शन  लाभ कर मेले का लुत्फ उठाया। इसके अलावा केदारनाथ धाम पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचे। विराट हिउस अध्यक्ष कैलाश मंथन ने यहां आयोजित संकीर्तन बौद्धिक कार्यक्रम में कहा कि पर्व और उत्सव भारतीय संस्कृति के प्रमुख अंग हैं। इस आदिकालीन विरासत से सामाजिक, धार्मिक एवं राष्ट्रीय एकता मजबूत होती है। अनेकता में एकता का बोध होता है। धर्म एवं संस्कृति के प्रति श्रद्धा, भक्ति का भाव जाग्रत होता है। सूर्य जिस राशि पर स्थित हो उसे छोडक़र जब दूसरी राशि में प्रवेश करे उस समय का नाम संक्रांति है। अंचल के अनेकों धार्मिक स्थलों पर हिउस क तहत कार्यक्रम आयोजित हुए। मुहालपुर में १७ जनवरी को अखंड रामायण की पूर्णाहूति के साथ संपन्न होगा।

केदारनाथ धाम में जुटे सैकड़ों श्रद्धालु 

शहर से ४० किमी दूर केदारनाथ धाम के प्राकृतिक कुंड एवं झरनों में मकर संक्रांति पर्व का स्नान करने अंचल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे एवं भोलेनाथ का अभिषेक किया। केदारनाथ घाटी में खतरे को देखते हुए दर्शन की मनाही है ।इस मौके पर दूरदराज क्षेत्रों एवं अनेकों जिलों से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शनार्थ मय परिवार के साथ पहुंचे।

प्राचीन गुफाओं को संरक्षित करने की मांग

 विराट हिन्दू उत्सव समिति के तहत सिद्धेश्वर महादेव मुहालपुर धाम में हुई विशेष बैठक में संत समाज एवं समाजसेवियों ने केदारनाथ एवं अन्य प्राचीन स्थलों की प्रशासनिक उपेक्षा पर चिंता जताते हुए सभी धार्मिक स्थलों को संरक्षित किए जाने की मांग की। गुना जिले की पहाडिय़ों, ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों प्राचीन गुफाओं की विस्तृत श्रृंखला फैली है। पुराविद एवं समाजसेवी कैलाश मंथन ने पुरातत्व विभाग, भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार का ध्यानाकर्षण करते हुए गुना जिले में फैली प्राचीन पुरा संपदा को संरक्षित करने की मांग की है। कैलाश मंथन के मुताबिक मालपुर की पहाडिय़ों पर करीब आधा सैकड़ा गुफाओं सहित नठाई गांव, ग्राम गढ़ा के जंगलों, गादेर घाटी, केदारनाथ के जंगली क्षेत्र, आरोन रोड पर पचमढ़ी, बेंहटाझिर, चांदौल, टकटइया, बमोरी क्षेत्र के ऊषाखो, कुसुम खो आदि क्षेत्रों    में करीब १५० से अधिक प्राचीन गुफाओं की श्रृंखला गुना जिले की बहुमूल्य विरासत है। जिसे संरक्षित करना जरूरी है। अनेकों गुफाओं एवं पहाडिय़ों पर उकेरी गई मूर्तियां अतिक्रमण की चपेट में हैं। सन १९८५ से उनका यह खोज अभियान अभी जारी है। पहाडिय़ों  में अभी सैकड़ों गुफायें एवं प्राचीन संस्कृति के अवशेष दबे होने के आसार हैं।*

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