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मुहालपुर, बजरंगगढ़, केदारनाथ पर्यटन स्थल बनें- कैलाश मंथन

 मकर संक्रांति की तैयारियां प्रारंभ प्राचीन स्थलों पर होंगे भव्य कार्यक्रम 

मुहालपुर में 45 वां मकर संक्रांति मेला 12 से 17 जनवरी तक

मुहालपुर गुफाओं में होंगे धार्मिक अनुष्ठान एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम

गुना जिले की पुरासंपदा संरक्षित करने की मांग*

मुहालपुर, बजरंगगढ़, केदारनाथ पर्यटन स्थल बनें- कैलाश मंथन


गुना। जिले के सभी सिद्ध प्राचीन स्थलों पर संक्रांति महोत्सव के तहत विशाल मेलों का आयोजन किया जाएगा। विराट हिन्दू उत्सव समिति के प्रमुख कैलाश मंथन ने बताया कि शहर के निकट मुहालपुर सिद्ध गुफाओं पर 12 से 17 जनवरी तक अखंड रामायण, विशाल मेले, यज्ञ एवं भंडारे का आयोजन किया जाएगा। 12 जनवरी को गणेश पूजन एवं अखंड रामायण की स्थापना होगी। 13 को रामायण पाठ, 14 को मकर संक्रांति पर हजारों श्रद्धालु पर्वीं का आनंद लेंगे। 15, 16 जनवरी को धार्मिक अनुष्ठान, अखंड रामायण, 17 जनवरी को विशाल भंडारा पूर्णाहूति के साथ संपन्न होगा। वही केदारनाथ धाम पर 14 जनवरी को हजारों लोग  संक्रांति का लुत्फ उठाएंगे। चांदौल गुफाओं पर संतों सानिध्य में क्षेत्र के हजारों लोग मकर संक्रांति पर्व मनाएंगे। अन्य स्थलों पर भी संक्रांति पर विभिन्न आयोजन होंगे। चिंतन हाउस में हुई विराट हिन्दू उत्सव समिति की बैठक में जिले के अतिशय क्षेत्र बजरंगगढ़, केदारनाथ, मुहालपुर गुफाओंं, बागबाघेश्वर धाम चांचौड़ा सहित प्राचीन पचमढ़ी, निठाई, सिद्धेश्वर, गढ़ा ग्राम स्थित प्राचीन गुफाओं को पर्यटन स्थल बनाने की मांग की गई। बैठक में मकर संक्रांति पर लगने वाले मेलों में पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था, साफ सफाई, व्यवस्थित परिवहन, निरंतर विद्युत सप्लाई की मांग प्रशासन से की गई। हिउस प्रमुख कैलाश मंथन के मुताबिक 43 वां मकर संक्रांति मेला स्थानधारी महाराज दिनेशपुरी सिद्धेश्वर गुफा मुहालपुर के संयोजन एवं पं. देवेन्द्र शास्त्री के आचार्यत्व में संपन्न होगा।*

जिले की पुरासंपदा संरक्षित करे प्रशासन- कैलाश मंथन*

अंचल के पहाड़ी क्षेत्रों एवं जंगलों में हजारों वर्ष पुराने पुरावशेष बिखरे पड़े हैं। इन अवशेषों में गुफाओं, प्रस्तर प्रतिमाएं, कंकरीली पहाडिय़ों  पर बनाई गई दानवाकार मूर्तियां प्रमुख हैं। पुराविद् एवं समाजसेवी कैलाश मंथन के मुताबिक इलाके की पहाडिय़ों पर अनेक स्थानों पर दानवाकार मूर्तियां प्राप्त हुई है। ये कंकरीली पहाडिय़ों पर बनाई गई इन प्रस्तर प्रतिमाएं महावीर एवं बौद्ध कालीन प्रतीत होती हैं। जबकि गुफाएं आदिकालीन हो सकती हैं। गुफाओं की श्रृंखलाएं देखकर लगता है कि प्राचीन युग में साधुओं की तप स्थली अथवा पुरायुग में जब मकानों का अभाव होगा तब आदि मानव की बस्तियां । चिंतन मंच के संयोजक पुराविद् कैलाश मंथन ने बताया कि इस तरह की करीब एक दर्जन प्रतिमाओं एवं करीब 150 गुफाओं को उन्होंने खोजा है। गुना, बरखेड़ा, गादेर, गढ़ाघाटी, चांदौल, टकट्इया, बमोरी क्षेत्र, मधुसूदनगढ़, आरोन, नठाई क्षेत्रों के जंगलों में एवं ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की पुरा संस्कृति के अवशेष बिखरे पड़े हैं। समय-समय पर प्रदेश एवं केंद्र सरकार सहित पुरातत्व विभाग का ध्यान आकर्षित किया गया, लेकिन नतीजा शून्य निकला। पुराविद् कैलाश मंथन के मुताबिक भदौरा, केदारनाथ, सिरसी क्षेत्र में भी बहुमूल्य प्राचीन संस्कृति के अवशेष बिखरे पड़े हैं। देखरेख एवं संरक्षण न होने से अधिकांश पुरासंपदा चोरी की जा रही है। बजरंगगढ़ किले में संरक्षित तोपों एवं अनेकों मूर्तियां तस्कारों द्वारा गायब कर दी गई। गुना की सर्किट हाउस से प्राचीन मूल्यवान बौद्धकालीन अथवा महावीर कालीन  मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। ध्यान रहे गुना सर्किट हाउस एवं कलेक्ट्रेट से जिले की प्राचीन प्रतिमाएं गायब हो चुकी हैं। जिनकी जांच आज तक नहीं की जा सकी है। वहीं संदौलगढ़, चतराई गांव के निकट जंगल से जैन, वैष्णव, बौद्ध संस्कृति के पुरातत्व चोरी हो चुके हैं। जिला मुख्यालय पर पुरा संग्राहलय की एवं पुरासंंपदा के संरक्षण करने की मांग पुराविद् सदस्य समाजसेवी कैलाश मंथन ने की है।

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