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छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व निर्माण में मां और गुरूओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी - प्रखर ब्रह्मभट्ट

छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व निर्माण में मां और गुरूओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी - प्रखर ब्रह्मभट्ट 


बाल संस्कार एवं युवा संवाद कौशल विकास केन्द्र पर आयोजित की गयी संगोष्ठी 



स्वामी रामकृष्ण परमहंस एवं छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मां सरस्वती सेवा धाम एवं मंशा पूर्ण प्लाटेश्वर महादेव मंदिर श्रीराम कालोनी में विचार संगोष्ठी आयोजित की गयी। संगोष्ठी की अध्यक्षता संस्कार भारती के सलभ शर्मा ने की एवं मुख्य वक्ता के रूप में प्रखर ब्रह्मभट्ट रहे।सर्व प्रथम मां सरस्वती भारत माता स्वामी रामकृष्ण परमहंस एवं छत्रपति शिवाजी महाराज के चित्र का पूजन कर आरम्भ किया गया। संगोष्ठी के बारे में जानकारी देते हुए जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट ने कहा कि निर्माणाधीन मां सरस्वती सेवा धाम एवं मंशा पूर्ण प्लाटेश्वर महादेव मंदिर पर सभी महापुरुषों की जयंती का आयोजन किया जायेगा जिसका उद्देश्य बाल संस्कार केन्द्र एवं युवा संवाद कौशल विकास केन्द्र के बच्चों एवं युवाओं को महापुरुषों के व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित कराना है और यह समझना है कि संत और महापुरुषों केवल किसी जाति,समाज के अकेले नही होते बल्कि पूरे राष्ट्र की धरोहर होते है।हम सब को मिलकर इनके विचारों और शिक्षा को जन जन तक पहुंचाना है। प्रखर ब्रह्मभट्ट ने कहा कि शिवाजी के व्यक्तित्व निर्माण में उनकी मां जीजाबाई और उनके अध्यात्मिक गुरु समर्थ रामदास राजनैतिक गुरु दादोजी कोंडदेव का बहुत होगा दान था। बचपन से ही वीरता साहस और अपने देश से प्रेम करते है उनकी सूझबूझ और युद्ध कौशल से शत्रु हमेशा भयभीत रहते थे।उनके भांति उनके पुत्र भी साहसी वीर और मातृभूमि से प्रेम करते थे।अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए सलभ शर्मा ने कहा कि मैं आप के प्रयासों की प्रशंसा करता हूं इस तरह की संगोष्ठी के माध्यम से बच्चों को अपने इतिहास से परिचित होने का अवसर मिलता है।इस अवसर पर कुशाग्र ब्रह्मभट्ट ने शिवाजी के ऊपर कविता सुनाई और प्रताप रजक,नरेंद्र ब्रह्मभट्ट ने भी अपने विचार रखे। जमुना लाल जी ,रूही,तनु, वैदिका,देवांश, उपस्थित रहे।अंत में आभार पुष्कर ने व्यक्त किया।

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