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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को स्थापित करने की पहल करे भारत सरकार- कैलाश मंथन

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को स्थापित करने की पहल करे भारत सरकार- कैलाश मंथन

करोड़ों भारतवासियों का दिल है हिन्दी मातृभाषा- कैलाश मंथन*

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर चिंतन संगोष्ठी आयोजित*


गुना। विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से प्रमुख भाषा हिन्दी है। समय आ गया है राष्ट्रभाषा हिंदी को विश्व स्तर पर प्रमुख भाषा का दर्जा दिलाया  जाए। भारत सरकार को समय रहते हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा बनाने कपूर्ण प्रयत्न करना चाहिए । चिंतन मंच के संयोजक कैलाश  मंथन ने चिंतन गोष्टी में कहा  देवनागरी लिपि विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा लिपि है। जिसमें अक्षरों का सूक्ष्म स्वरूप दिग्दर्शन होता है। अंग्रेजी के प्रभाव के चलते विश्व के सर्वाधिक जनसंख्या वाले हिन्दुस्तान की मातृभाषा हिन्दी का प्रभाव कम करने की कोशिश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की जाती रही है। चिंतन मंच के प्रमुख कैलाश मंथन ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर राष्ट्रभाषा हिन्दी की अहमियत पर बल देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब हम विश्व स्तर पर हिन्दी एवं संस्कृत को स्थापित करने का प्रयत्न करें। विभिन्न राष्ट्रों की अपनी-अपनी मातृभाषाओं को प्रमुख दर्जा दिया गया है। जबकि आज भी एक अरब लोगों के बीच बोली जाने वाली हिन्दी मातृभाषा उपेक्षा की शिकार है।* चिंतन मंच की साप्ताहिक गोष्ठी बैठक में श्री मंथन ने कहा कि हिन्दी मात्र एक भाषा नहीं, अपितु हमारी पहचान है। हमारी संस्कृति है। अपनी मातृ-भाषा का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है। जिन्हें अपनी मातृ-भाषा पर अधिकार होता है वे ही दूसरी भाषा को भी समझ सकते हैं। अंग्रेजी भाषा का ज्ञान वैश्विक स्तर पर आवश्यक है, लेकिन अपनी राष्ट्र भाषा का त्याग कर उन्नति नहीं प्राप्त की जा सकती।* 

इस मौके पर श्री मंथन ने कहा कि हिन्दुस्तान की एकता के लिए मात्र हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांध सकती है।* वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी स्वर एवं व्यंजनों का सूक्ष्मीकरण मात्र हिन्दी में ही पाया जाता है। श्री मंथन ने कहा कि अंग्रेजी शब्दकोष के अनेकों शब्द हिन्दी से ही लिए गए हैं। जैसे लाख, करोड़ आदि महत्वपूर्ण शब्दों को भी  हिन्दी शब्दकोष से ही लिया गया है। हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हमें हमेशा हिन्दी भाषा का प्रयोग करते समय गर्व सहसूस करना चाहिए। श्री मंथन ने कहा कि अंग्रेजी के सर्वाधिक चलन के बावजूद आज हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषा के रूप में उभरी है। हिन्दी का भविष्य उज्जवल है। यह निकट भविष्य में वैश्विक स्तर पर स्थापित होगी। अंग्रेजी में कार्य करने वाली इंटरनेट कंपनियों को भी हिन्दी में कार्य करने सोचना पड़ेगा।*

हमारी भाषा भी हमारी माँ है- मंथन*

श्री मंथन ने कहा कि मातृभाषा हिन्दी हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है। मातृभाषा ही किसी भी व्यक्ति के शब्द और संप्रेषण कौशल की उद्गम होती है। एक कुशल संप्रेषक अपनी मातृभाषा के प्रति उतना ही संवेदनशील होगा जितना विषय-वस्तु के प्रति। मातृभाषा व्यक्ति के संस्कारों की परिचायक है। मातृभाषा से इतर राष्ट्र के संस्कृति की संकल्पना अपूर्ण है। मातृभाषा मानव की चेतना के साथ-साथ लोकचेतना और मानवता के विकास का भी अभिलेखागार होती है।  श्री मंथन के मुताबिक मातृभाषा के महत्व को इस रूप में समझ सकते हैं कि अगर हमको पालने वाली, 'माँ' होती है; तो हमारी भाषा भी हमारी माँ है। हमको पालने का कार्य हमारी मातृभाषा करती है इसलिए इसे 'मां' और 'मातृभूमि' के बराबर दर्जा दिया गया है।*

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