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धर्म एवं आध्यात्म भारतीय संस्कृति के मूल आधार -कैलाश मंथन

धर्म एवं आध्यात्म भारतीय संस्कृति के मूल आधार -कैलाश मंथन

जिला जेल में हुआ सर्व धर्म पर आधारित आध्यात्मिक व्याख्यान 

बंदियों के बीच हुआ सर्व धर्म आध्यात्मिक सत्संग


गुना। शुक्रवार को जिला जेल में बंदियों के लिए धर्म आध्यात्म पर आधारित विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला जेल प्रशासन के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मुख्य वक्ता समाजसेवी कैलाश मंथन ने 1 घंटे के सारगर्भित व्याख्यान के दौरान श्रीमद् भगवद् गीता, रामायण, पुराणों एवं उपनिषदों को भारतीय संस्कृति के आधारभूत ग्रंथ बताते हुए मानव जीवन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला । अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी एवं जिला अध्यक्ष कैलाश मंथन ने जिला जेल परिसर में जेल प्रशासन के अनुरोध पर प्रातः सत्र में बंदियों के बीच पहुंचकर विशेष बौद्धिक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में धर्म ,अध्यात्म ,संस्कृति,नाम-जप संकीर्तन .जीवन का प्रमुख उद्देश्य .मानव धर्म . लक्ष्य की प्राप्ति कैसे हो आदि विषयों पर प्रकाश डाला एवं विचार व्यक्त किये । इस दौरान श्री मंथन ने जेल की सभी 11 बैरकों में बंदियों के स्वाध्याय हेतु निशुल्क श्रीमद् भगवद गीता की  प्रतियां जिला जेल के प्रमुख शिक्षक श्री मुकेश  रावत जी को भेंट की। उन्होंने कहा सैंकड़ों बंदियों के बीच धर्म एवं आध्यात्मिक चर्चा करना बहुत ही विशेष अनुभव है। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रभक्ति धर्म जागृति चर्चा एवं नाम जप में सभी धर्मों के बंदियों द्वारा उत्साह से भाग लिया गया। अपने व्याख्यान में अंतरराष्ट्रीय निशुल्क गीता प्रचार मिशन के प्रमुख कैलाश मंथन में कहा गीता दुख एवं विषम परिस्थितियों में जीना सिखाती है ,आत्म बल प्रदान करती है एवं मृत्यु भय दूर करती है ।हम बंदी का जीवन बिताकर भी अपना आत्म शोधन कर जीवन में महान परिवर्तन सकते हैं ।यहां का एकांत हमें परमात्मा की प्राप्ति करा सकता है, इसलिए जीवन में हम भगवान नाम का जाप करते रहें । कैदी जीवन में आत्म बल रखकर एवं स्वधर्म कर्तव्य को अपनाकर  अपने जीवन को  शांत बना सकते हैं ।कार्यक्रम के अंत में जेल के प्रमुख शिक्षक श्री मुकेश रावत ने आभार माना एवं  बैरकों में भेंट में प्राप्त गीता जी की प्रतियां बंदियों के स्वाध्याय के लिए उपलब्ध कराई गई।

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