सात्विक आहार व योग प्राणायाम से उच्च विचार शैली एवं श्रेष्ठ कार्यों का निर्माण होता है:- योगाचार्य महेश पाल
सात्विक आहार व योग प्राणायाम से उच्च विचार शैली एवं श्रेष्ठ कार्यों का निर्माण होता है:- योगाचार्य महेश पाल
पतंजलि युवा भारत के तत्वाधान मैं जिला जेल गुना मैं उपस्थित जेल के कैदियों के उत्तम स्वास्थ्य व सात्विक विचार शैली के लिए योगाचार्य महेश पाल द्वारा योग शिविर का आयोजन किया जिसमें आज योग प्राणायाम व भोजनचर्या के बारे में विस्तार से जानकारी दी जिसमें भोजन के तीन प्रकार सात्विक भोजन तामसिक भोजन, राजसिक भोजन के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया, योगाचार्य महेश पाल ने योग शिविर के दोरान भोजन की प्रकृति के बारे बताया कि आयुर्वेद के अंतर्गत यह माना जाता है कि व्यक्ति जिस तरह का भोजन करता है उसका मन और मस्तिष्क उसी के अनुरूप कार्य करने लगता है। सात्विक भोजन जिसके विषय में यह माना जाता है कि ये भोजन का वह प्रकार है जो आपके शरीर को शुद्ध करता है और आपको मानसिक तौर पर शांत रखने में सहायता करता है। भोजन को पकाने के बाद अगर उसे एक से डेढ़ घंटे के भीतर ग्रहण किया जाए तो इसे सात्विक कहा जाता है। इसके अंतर्गत् मौसमी फल, ड्राई फ्रूट्स, पत्तेदार व हरि सब्जियां, फलो का रस सलाद, मोटे अनाज, शहद, स्प्राउट्स, दाल चावल और ताजा दूध एवं दूध से बनी वस्तुएं घी, दही, छाछ, पनीर है। सात्विक भोजन ग्रहण करने से उच्च विचारों विकाश होता है और श्रेष्ठ कार्य की और हम आगे बढ़ते हैं, राजसिक भोजन लेने वाले लोग अत्याधिक उत्साही, क्रोधी, बेचैन और अनिद्रा एवं कई प्रकार के रोगों से पीड़ित होते हैं। इसके अंतर्गत अतिस्वादिष्ट भोजन जिसे पूरी तरह पकाया गया हो,वह राजसिक पदार्थ की श्रेणी में आता है। इसमें मसालेदार भोजन, प्याज और लहसुन युक्त खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफ़ी और तले हुए पदार्थ जंक फूड फास्ट फूड, अत्यधिक मीठा और चिकनाई युक्त भोजन, कोल्डड्रिंक डिब्बा बंद खाद्य सामग्री शामिल हैं।सबसे निचले पायदान पर है तामसिक भोजन इसका सेवन करने से आपका शरीर बहुत सुस्त होता है और मन बहुत लाचार सा महसूस करने लगता है। मन में गलत विचार आने लगते हैं और व्यक्ति गलत कार्यो मैं लिफ्त हो जाता है अगर आप तामसिक भोजन का ज्यादा सेवन करते हैं तो इससे आपके जीवन में जड़ता, भ्रम और भटकाव महसूस होता है,वर्तमान जनरेशन इस तरह के खाद्य पदार्थ को बहुत गहराई के साथ अपनाने लगी है जिसमें बासा और पुराना भोजन,कृत्रिम तेल युक्त भोजन, अत्याधिक तेज और चिकनाई वाला भोजन ,मांसाहार, अत्याधिक शराब व सिगरेट तंबाकू धूम्रपान का सेवन, अत्यधिक रात्रि कालीन भोजन को भी इसी श्रेणी के अंतर्गत आता है, इसलिए हमें हमारी दिनचर्या में योग प्राणायाम व सात्विक भोजन को स्थान देना चाहिए, जिससे हम शारीरिक रोगों व मानसिक रोगों से बचे रहे और हमारे अंदर उच्च विचार शैली व श्रेष्ठ कार्यों का विकास हो और हम स्वयं को स्वस्थ रखकर समाज व राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभा सके और जीवन को उपयोगी बना सके विभिन्न प्रकार की गलत संगतव अपराधों से बचे रहें योग से स्वस्थ होकर जीवन का आनंद लें
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