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धार्मिक व वैज्ञानिक प्रभाव के साथ रंगपंचमी सकारात्मक ऊर्जा का त्यौहार है:-योगाचार्य महेश पाल

धार्मिक व वैज्ञानिक प्रभाव के साथ रंगपंचमी सकारात्मक ऊर्जा का त्यौहार है:-योगाचार्य महेश पाल


रंगपंचमी भारतीय संस्कृति में रंगों के महत्व को दर्शाता है तथा रंग हमारे जीवन में खुशी, उत्साह और सकारात्मकता लाते हैं। योगाचार्य महेश पाल बताते है कि रंग पंचमी को सकारात्मक ऊर्जा,और,आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। रंग पंचमी को देव पंचमी,श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है,धार्मिक मान्यता के अनुसार, रंगपंचमी के दिन देवी-देवता भी होली खेलते हैं इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने होली खेली थी और स्वर्ग से देवी-देवताओं ने पुष्प वर्षा की थी। यही कारण है कि इस दिन अबीर-गुलाल उड़ाने की परंपरा है।   इस दिन देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें रंग अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन रंग खेलने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।यह त्योहार हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और जीवन में खुशियां लाने का संदेश देता है।पौराणिक कथाओं एवं धार्मिक मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन रंगों का प्रयोग करने से एवं रंगो को आसमान की ओर उड़ाते हैं। ऐसा करने से देवी-देवता आकर्षित होकर अपनी कृपा बरसाते हैं,रंग पंचमी को पांच मूलभूत तत्वों - वायु, आकाश, जल, पृथ्वी और अग्नि - को सक्रिय करने वाला माना जाता है, जो ब्रह्मांड का निर्माण करते हैं। योग आयुर्वेद के अनुसार, मानव शरीर भी इन्हीं तत्वों से बना है। इस त्यौहार को इन तत्वों को आह्वान करने,जीवन में संतुलन बहाल करने और आध्यात्मिक विकास में सहायता करने के अवसर के रूप में देखा जाता है,रंगपंचमी केवल एक रंगों का त्योहार ही नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिक और वैज्ञानिक, दृष्टियों से भी महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन रंगों का उपयोग वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। योग आयुर्वेद के अनुसार,प्राकृतिक रंगों में चिकित्सीय गुण होते हैं, जो हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। रंगों का खेल मानसिक तनाव को कम करने और खुशी बढ़ाने में मदद करता है। यह पर्व हमें तनावमुक्त और आनंदित रहने का अवसर प्रदान करता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखा जाए तो वसंत ऋतु के दौरान मौसम परिवर्तनशील रहता है और वातावरण में हानिकारक जीवाणु अधिक होते हैं। रंगों में मौजूद प्राकृतिक तत्व इन जीवाणुओं को नष्ट करने में सहायक होते हैं। मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन वातावरण में फैली सभी नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं और वातावरण शुद्ध हो जाता है।

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