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स्वास्थ्य दिवस हमें यह याद दिलाता है कि सेहत सबसे बड़ी संपत्ति है,दुनिया भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य का अधिकार तेजी से खतरे में आ रहा है:- योगाचार्य महेश पाल

स्वास्थ्य दिवस हमें यह याद दिलाता है कि सेहत सबसे बड़ी संपत्ति है,दुनिया भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य का अधिकार तेजी से खतरे में आ रहा है:- योगाचार्य महेश पाल


विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि  पहली बार विश्व स्वास्थ्य दिवस 1950 को मनाया गया था और इस बार  2025 मैं 76 वा विश्व स्वास्थ्य दिवस "स्वस्थ शुरुआत,आशापूर्ण भविष्य।" थीम के साथ पूरा विश्व एवं हम सब 7 अप्रैल को स्वास्थ दिवस  मना रहे हैं, जो 7 अप्रैल  1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना का प्रतीक है। यह दिन दुनिया के सामने आने वाले गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें संबोधित करने के प्रयासों को संगठित करने के लिए समर्पित है। स्वास्थ्य दिवस हमें यह याद दिलाता है कि सेहत सबसे बड़ी संपत्ति है,दुनिया भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य का अधिकार तेजी से खतरे में आ रहा है। बीमारियाँ और आपदाएँ मृत्यु और विकलांगता के बड़े कारण बन रही हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण है हमारी बदलती आहार शैली और हमारी बदलती दैनिक दिनचर्या, जिसके कारण बच्चे, युवा, महिलाएं बुजुर्ग काफी अधिक संख्या में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं जिनमें शारीरिक मानसिक बीमारियां मुख्य रूप से है, बदलते खान पान व अव्यवस्थित दैनिक दिनचर्या के कारण बच्चों व युवाओं मैं तनाव, चिड़चिड़ापन, मोटापा, अनिद्रा जैसे रोग तेजी से हो रहे, वही महिलाओं में मोटापा, मधुमेह, PCOD, थायराइड, साइनस, माइग्रेन, हृदय, लिकोरिया,  गैस, कब्ज रोग जैसी समस्याएं तेजी से हो रही है बुजुर्गों में अधिकतर जॉइंट पेन, गैस, कब्ज, मानसिक असंतुलन जैसे रोगों से ग्रस्त होते जा रहे हैं, बच्चों व युवाओं में उच्च संस्कार व उच्च गुणवत्ता वाली  बौद्धिकता का अभाव होता जा रहा है जिसके कारण आज का युवा श्रेष्ठ कार्यों व भारतीय संस्कृति के उच्च मूल्यों का महत्व खोता जा रहा है बही युवा कई बीमारियों का घर बन चुका हैं, इन सभी समस्याओं से बचाव के लिए योग प्राणायाम ध्यान का अभ्यास कापी उपयोगी है योग से शरीर व मन स्वस्थ बनता है,एवं सभी प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है और युवाओं में बौद्धिकता का निर्माण होता है जिसके द्वारा युवा राष्ट्रहित में बड़े-बड़े कार्य कर सकते हैं, योगाचार्य महेश पाल में स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर 3 दोष के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते बताया कि, योग मैं त्रिदोष का मतलब है वात, पित्त, और कफ़ ये तीनों दोष शरीर की मूलभूत ऊर्जाएं या सिद्धांत हैं, ये हमारे शारीरिक और मानसिक कार्यों को नियंत्रित करते हैं, योग-आयुर्वेद के मुताबिक, इन तीनों दोषों का संतुलन बना रहना ज़रूरी है,वात दोष प्रकृति में ठंडा और शुष्क होता है,पित्त दोष अग्नि या गर्मी से जुड़ा हुआ है,कफ़ दोष, जल और पृथ्वी से जुड़ा है, योग आयुर्वेद में त्रिदोष सिद्धांत ब्रह्मांड के तीन तत्वों पर आधारित है, वायु, अग्नि और जल, यह तीन मूलभूत ऊर्जाएँ सभी शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करती हैं, वात (वायु और आकाश), पित्त (अग्नि और जल), और कफ (जल और पृथ्वी)। ये ऊर्जाएँ मनुष्यों में विभिन्न शारीरिक दिखावट, स्वभाव और बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता के लिए जिम्मेदार हैं।वात, पित्त, और कफ़ के असंतुलन से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं,इन असंतुलनों को त्रिदोष कहते वात के बिगड़ने से ही 80 तरह की बीमारियां हो सकती हैं,वात दोष से पीड़ित व्यक्तियों में दुबला शरीर, गैस, कब्ज और सूखापन, पाचन संबंधी समस्याएं, थकान, जोड़ों का दर्द, और मानसिक परेशानियाँ शामिल हैं, पित्त के असंतुलित होने पर 40 प्रकार के रोग हो सकते हैं, जिनमें पाचन संबंधी समस्याएं, त्वचा रोग, और अन्य कई बीमारियां शामिल हैं. पित्त दोष से प्रभावित लोगों की त्वचा तैलीय होती है और उनमें गुस्सा और अधीरता की प्रवृत्ति होती है। कफ दोष बिगड़ने से 20 प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं, जिनमे सांस संबंधी रोग, अस्थमा, त्वचा संबंधी रोग, मोटापा, मधुमेह, थायराइड, कफ दोष से पीड़ित व्यक्तियों का शरीर भारी और अधिक मोटा होता है, और उनका पाचन धीमा रहता है, स्वस्थ शरीर के निर्माण में सप्त धातुओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है जिनमे योग आयुर्वेद के अनुसार, सप्त धातुएं सात प्रकार के शारीरिक ऊर्जा हैं जो शरीर के लिए आवश्यक हैं: रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र इनके असंतुलन से शारीरिक विकास रुक जाता है,  रस (Plasma) प्रथम धातु है जो भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों को अवशोषित करता है और शरीर में तरल रूप में प्रसारित होता है, रक्त रस धातु से बनता है और शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को परिवहन करता है, मांस रक्त धातु से बनता है और शरीर को आकार और शक्ति प्रदान करता है, मेद (Fat)मांस धातु से बनता है,शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है,अस्थि (Bone) मेद धातु से बनता है और शरीर को संरचना प्रदान करता है, मज्जा (Bone Marrow)अस्थि धातु से बनता है और रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है, शुक्र( वीर्य) मज्जा धातु से बनता है और प्रजनन क्षमता के लिए आवश्यक है, इस तरह  त्रिदोष व सप्त धातुओं से स्वस्थ शरीर का निर्माण होता है जब यह संतुलित अवस्था में होते हैं तो हमारा शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ होता है अगर यह तीनों असंतुलित अवस्था में हो जाते हैं तो हमारा शरीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है और हमारे शरीर का विकास रुक जाता है योग प्राणायाम के अभ्यास से त्रिदोष व सप्त धातु  संतुलित हो जाती है और हम विभिन्न प्रकार के रोगों से बच जाते हैं और हमारे संपूर्ण शरीर का संतुलित विकास होता है, इसलिए हमें हमारे दैनिक दिनचर्या में योग प्राणायाम को अवश्य शामिल करना चाहिए और संतुलित दैनिक दिनचर्या व सात्विक आहार शैली को अपनाना चाहिए, योग प्रारंभ करने का सबसे उत्तम समय बसंत ऋतु(मार्च- अप्रैल)का माना जाता है इस  समय योग प्राणायाम का अभ्यास प्रारंभ करने से सर्वाधिक लाभ होता है शरीर की अग्नि व त्रिदोष वात पित्त कफ, सम हो जाते है जिससे शरीर के अंदर के रोगों को जल्दी ठीक करने में मदद मिलती है और योग के द्वारा इस बसंत ऋतु के समय में हम आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर पाते हैं इस समय हमारा मन शांत और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है, योग के शास्त्रों के अनुसार योग अभ्यास करने का सबसे उत्तम समय यही माना जाता है जिससे स्वस्थ संबंधि  शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक लाभ  प्राप्त होते हैं,

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